कुछ पल के लिये ही सही!
कुछ पल के लिये ही सही!
चुरा लु इस रात को मेरी हथेली में,
या छुपा लु इन गर्म रजाई मे कही;
चल बुजा लु उन दियो को,
जिनसे तू बहोत डरी रहती है!
या भगा लु उस विरान गली से,
जहा अक्सर छुपा करती है!
क्योंकि ,सूरज निकलेगे तु फिर भाग जाएगी !
फिर कितनी मिन्नतों के बाद तु वापस आएगी !
फिर तुम चली जाना,
कुछ पल तुजे आगोश में लेके सो जाने दे,
पता है यह कुछ ही पल की दासता है...
कुछ पल ही सही मुजे तुझमे खो जाने दे!
चुरा लु इस रात को मेरी हथेली में,
या छुपा लु इन गर्म रजाई मे कही;
चल बुजा लु उन दियो को,
जिनसे तू बहोत डरी रहती है!
या भगा लु उस विरान गली से,
जहा अक्सर छुपा करती है!
क्योंकि ,सूरज निकलेगे तु फिर भाग जाएगी !
फिर कितनी मिन्नतों के बाद तु वापस आएगी !
फिर तुम चली जाना,
कुछ पल तुजे आगोश में लेके सो जाने दे,
पता है यह कुछ ही पल की दासता है...
कुछ पल ही सही मुजे तुझमे खो जाने दे!
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