छोटा शहर

छोटा  शहर


हा, सिख रहे है कॉफी मशीन से कॉफी बनाना,
और डरते है  हवाई जहाज से उड़ने से ,

हा, नही कर पाते तुम्हरी तरह बातें, और
डरते है लब्जो को इंग्लिश में बोलने से,

हा,नही रहता हमारा पसंदीदा कवि सात समंदरपार
और अच्छा लगता है सफेद कुर्ता वह महेगें कपड़ो से,

अच्छे है आपके पिज़ा-बर्गर,
पर  सुकून  वह दाल चावल खा कर आता है,
बड़े है उचे मकान है यहां,
पर मज़ा खुले पेर खेतो में चलने से आता है,
नही है वोह पांच तारा होटेल्स,
पर लाखों सितारों के नीचे हमने भी रात बिताई है

पर कैसे पता छोटे है तुमसे,
और शायद खून भी अलग ही बेहता होगा,
इसी लिए फटाक से तुम बाट लेते हो..

कह देते हो कि देखो,

“बात बात पे मुस्कुराता है यह आदमी..

किसी छोटे शहर से आया हुआ लगता है।”

My extended version of one of the very famous tweet of Ayushman Khurana.


  

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